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उत्तर - एक दीपक को जब आप प्रजल्वित करते हैं तो क्या देखते है कि , शुरुवात में जलते वक़्त हल्का पिला पन लिए वह दीपक सीधे एक ही दिशा में बढ़ता है , लेकिन ज्यों-ज्यों उसकी लौ बढ़ती जाती है , वह और भी तेज़ व इधर-उधर होने लगता है - ठीक उसी प्रकार ये बच्चे भी जब छोटे होते है , तब आप जो भी मार्ग इनको दिखा दोगे वे उसी मार्ग पर चलेंगे , क्योंकि उनके निर्मल मन में केवल एक ही बात होती है , केवल सच्चे मन से अपनों से बड़ो का अनुसरण करना , केवल यही एक समय होता है कि हम उन बच्चों की भावनाओं को समझें , क्योंकि बड़े होने पर , बढ़ती लौ की तरह मन इधर-उधर होने लगता है , व भटकाव कि स्थिति आ जाती है | , बच्चों को भगवान् का रूप भी कहा जाता है , क्योंकि जैसे भगवान् भाव के भूखे कहे जाते हैं ,उसी तरह का प्रेम व व्यवहार आप अपने बच्चों में भी देख सकते हो , यहाँ पर भगवान् के भाव कि बात इसलिए कही गई है , कि जैसे आप अपने भगवान् को थोड़ा सा भोग लगाते हो और भगवान् उसी में प्रसन्न हो जाते है , उसी प्रकार ये बच्चे भी हैं , अगर आप थोड़ा सा भी प्रेम से उनकों कुछ दे दो , और थोड़ा सा पुचकार दो तो ये आपकी समस्याओं को अपने सच्चे मन से जरूर भाप लेंगे !
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जी हाँ बच्चे मन के सच्चे , बच्चालोगों की दुनिया से आप सब ही लगभग वाकिफ होंगे , लेकिन इनकी एक और भी दुनिया है , जिसे सच्चे मन की दुनिया कहते है , ये प्यारे व भोले बच्चे एक दीपक के सामान है , जैसे सिर्फ एक दीपक के वृहद प्रकाश से अन्धकार का नाश हो जाता है , ठीक उसी प्रकार हम अगर इनको सही दिशा देते है , तो वो हमारे आने वाले कल को शायद अच्छा व संतुलित मार्ग दे पाए , और इस अज्ञानता के फैले मार्ग में ज्ञान का प्रसार व प्रकाश फैला सकें -
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प्रश्न - बच्चों को मन का सच्चा क्यों कहा गया है ?
उत्तर - एक दीपक को जब आप प्रजल्वित करते हैं तो क्या देखते है कि , शुरुवात में जलते वक़्त हल्का पिला पन लिए वह दीपक सीधे एक ही दिशा में बढ़ता है , लेकिन ज्यों-ज्यों उसकी लौ बढ़ती जाती है , वह और भी तेज़ व इधर-उधर होने लगता है - ठीक उसी प्रकार ये बच्चे भी जब छोटे होते है , तब आप जो भी मार्ग इनको दिखा दोगे वे उसी मार्ग पर चलेंगे , क्योंकि उनके निर्मल मन में केवल एक ही बात होती है , केवल सच्चे मन से अपनों से बड़ो का अनुसरण करना , केवल यही एक समय होता है कि हम उन बच्चों की भावनाओं को समझें , क्योंकि बड़े होने पर , बढ़ती लौ की तरह मन इधर-उधर होने लगता है , व भटकाव कि स्थिति आ जाती है | , बच्चों को भगवान् का रूप भी कहा जाता है , क्योंकि जैसे भगवान् भाव के भूखे कहे जाते हैं ,उसी तरह का प्रेम व व्यवहार आप अपने बच्चों में भी देख सकते हो , यहाँ पर भगवान् के भाव कि बात इसलिए कही गई है , कि जैसे आप अपने भगवान् को थोड़ा सा भोग लगाते हो और भगवान् उसी में प्रसन्न हो जाते है , उसी प्रकार ये बच्चे भी हैं , अगर आप थोड़ा सा भी प्रेम से उनकों कुछ दे दो , और थोड़ा सा पुचकार दो तो ये आपकी समस्याओं को अपने सच्चे मन से जरूर भाप लेंगे !
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एक सुन्दर सा विडियो - बच्चों के लिए - देखिएगा ज़रूर ---
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सुंदर प्रयास अशीष शुभ आशीष :) मूड औफ हुआ :( वर्ड वेरिफिकेशन देख कर :( कहा गया Please prove you're not a robot
ReplyDeleteसर धन्यवाद व सदः हि स्वागत है , सर वर्ड वेरिफिकेशन अब ठीक कर दिया गया है , धन्यवाद !
Deleteसुंदर और सटीक बात...! बहुत-बहुत शुक्रिया जी.
ReplyDeleteमार्कंड सर धन्यवाद व स्वागत है !
Deleteसुंदर प्रयास
ReplyDeleteसंजय भाई आगमन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद व स्वागत हैं !
Deleteसच कहा है ... बच्चे तो मन के सच्चे होते हैं ... हम ही उन्हें बड़ा बना देते हैं ...
ReplyDeleteबिलकुल सही दिगंबर सर , धन्यवाद व स्वागत है !
Deleteबच्चे मन के सच्चे दिन-दुनिया से बेखबर होते है,अच्छा लिखे हैं
ReplyDeleteआदरणीय , धन्यवाद व सद: ही स्वागत हैं !
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