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जिंदगी हँसने गाने के लिए हैं पल दो पल - यही वो दो पल हैं जिनके लिए , बच्चा , युवा , वयस्क या वृद्ध कोई भी तमाम उम्र बड़े जतन के साथ लगे रहते है , ये जानते हुए भी की ये कुछ पल सिर्फ कुछ पल का ही मज़ा देते हैं , लेकिन ये पल क्या हैं ? , क्या एक दूसरे को गिरा के पलों का मज़ा लेना ( नीचा दिखाना ) , या सिर्फ अपने ही लिए पलों का मज़ा लेना ( स्वार्थ रखना ) , कहने को ये सिर्फ बातें हैं या ज़िन्दगी से सम्बंधित प्रश्न , लेकिन इसको हमको समझना ही पड़ेगा , क्योंकि बेदम ज़िन्दगी जीना हमारा काम नहीं - ये प्रश्न तब उठे जब मैं ये गीत सुन रहा था , ये गीत ज़मीर फ़िल्म का है , जिसके बोल हैं - जिंदगी हँसने गाने के लिए हैं पल दो पल - तो आज के प्रश्न इस गीत से सम्बंधित हैं - प्रश्न गीत के अंतरे से सम्बंधित हैं -
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प्रश्न - जहाँ सच न चले वहाँ झूठ सही , जहाँ हक़ न मिले वहाँ लूट सही ( क्यों और कैसे ) ?
उत्तर - सच और झूट , ये भी एक प्रकृति है , जैसे ईश्वर की प्रकृति ये ब्रम्हांड रोम-रोम है , वैसे ही मानव की ये प्रकृति है और जैसे इस ब्रम्हांड का रोम-रोम पुर्जा यानी प्रकृति ईश्वर के लिए कार्य करती है , वैसे ही ये सच और झूठ पैदा होने से लेकर मृत्यु तक मानव के लिए ही कार्य करते हैं , लेकिन ये आप के निमित्त अच्छा फल तभी देते हैं , जब आपकी सोंच अच्छी हो , क्योंकि अगर ईश्वर की सोंच व संकल्प अच्छा न होता तो , हर एक चीज़ असंतुलित होती , यहाँ असंतुलन से मेरा मतलब है - हर एक प्राणी के लिए नाप-तोल के हर एक चीज़ का बनना , और यहीं पे मेरा जवाब आ जाता है - क्योंकी जहाँ सच न चले वहाँ झूठ बोलिये लेकिन इस बात को सोंच के की जिसके लिए भी मैं झूठ बोल रहाँ हूँ , या जिस बात पे मैं झूठ बोल रहाँ हूँ , उससे मुझे फायदा है व उससे दूसरे को नुक्सान भी नहीं है , और साथ ही अच्छा संकल्प भी लेना चाहिए कि अब झूठ न ही बोलना पड़े तो बेहतर होगा , क्योंकी झूठ तो झूठ ही होता है न।
और हक़ की लड़ाई तो मानव आज से नहीं लगभग आदिमानव युग से लड़ता चला आ रहा है , और रुके भी तो कैसे आखिर हक़ की लड़ाई है न भाई ? ठीक ही लिखा है इस गाने में कि " जहाँ हक़ न मिले वहाँ लूट सही " लेकिन इन शब्दों पे ज़रा सही से ध्यान दीजियेगा - जहाँ हक़ न मिले - वहाँ लूट सही , मेरा मतलब जब हक़ न मिले तब लूट , इसका मतलब लुटेरों की लूट से न लगाइएगा , मतलब अगर आप उस स्थान के अधिकारी है और आपको कोई संदेह है कि अगला हमारा हक़ मार रहा है तो आप अपनी बात को बड़े जोर के साथ रख सकते है ( वो बात भले ही है कि उस वक़्त आपके सामने वाला आपके अन्दर लूट के ही दर्शन कर रहा होगा )
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प्रश्न - तेरे गिरने में भी तेरी हार नहीं के तू आदमी है अवतार नहीं ( क्यों और कैसे ) ?
उत्तर - भगवान् के अवतारों की कहानियाँ तो आपने सुनी ही होगी , आदमी वैसे तो होते नहीं , क्योंकी गीता के अनुसार भगवान् जब इस पृथ्वी पर अवतरित होते हैं तो प्रकृति को अपने आधीन करके व मनुष्य प्रकृति के आधीन होकर ही पैदा होता है , इन सब बातों का मतलब यह है कि , अगर हम कोई भी कार्य बड़ी लगन से करते हैं व मेहनत करने पर भी सफलता सही से हाँथ नहीं लगती , तो इससे कभी आत्मबल नहीं गिरना चाहिए , क्योंकी हम सिर्फ एक आदमी हैं अवतार नहीं , सारी उम्र अपने बच्चे को बड़े जतन से लालन पालन करके पढ़ाते लिखाते व अच्छा आदमी बनाते , पर नतीजे कुछ सही नहीं लगते , कभी लड़का आपकी बात नहीं मानता , अनसुना कर देता है , तो इससे कभी आत्मबल नहीं गिरना चाहिए , क्योंकी हम सिर्फ एक आदमी हैं अवतार नहीं - और गिरने में तो वैसे भी हार नहीं होती , क्योंकि जवानों व पहलवानों का तो काम ही यही होता है - और हम किसी जवानों व पहलवानों से कम थोड़े ही हैं ( इस बात को भी कह देना चाहिए क्योंकी इससे हमारे पूर्वजों का सम्मान होता है )
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इस पोस्ट के आधार पर ये गीत , देखिएगा ज़रूर , फ़िल्म ज़मीर - बोल - ज़िन्दगी हँसने गाने के ---
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मित्रों व पाठकों आपकी मूल्यवान टिप्पणियों का सदः ही स्वागत है , टिप्पणी ज़रूर करें व ज़िन्दगी से सम्बंधित कोई भी प्रश्न आप बेझिझक पूंछे , व कोई सुझाव हो तो अवश्य दें , धन्यवाद !
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जिंदगी हँसने गाने के लिए हैं पल दो पल - यही वो दो पल हैं जिनके लिए , बच्चा , युवा , वयस्क या वृद्ध कोई भी तमाम उम्र बड़े जतन के साथ लगे रहते है , ये जानते हुए भी की ये कुछ पल सिर्फ कुछ पल का ही मज़ा देते हैं , लेकिन ये पल क्या हैं ? , क्या एक दूसरे को गिरा के पलों का मज़ा लेना ( नीचा दिखाना ) , या सिर्फ अपने ही लिए पलों का मज़ा लेना ( स्वार्थ रखना ) , कहने को ये सिर्फ बातें हैं या ज़िन्दगी से सम्बंधित प्रश्न , लेकिन इसको हमको समझना ही पड़ेगा , क्योंकि बेदम ज़िन्दगी जीना हमारा काम नहीं - ये प्रश्न तब उठे जब मैं ये गीत सुन रहा था , ये गीत ज़मीर फ़िल्म का है , जिसके बोल हैं - जिंदगी हँसने गाने के लिए हैं पल दो पल - तो आज के प्रश्न इस गीत से सम्बंधित हैं - प्रश्न गीत के अंतरे से सम्बंधित हैं -
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प्रश्न - जहाँ सच न चले वहाँ झूठ सही , जहाँ हक़ न मिले वहाँ लूट सही ( क्यों और कैसे ) ?
उत्तर - सच और झूट , ये भी एक प्रकृति है , जैसे ईश्वर की प्रकृति ये ब्रम्हांड रोम-रोम है , वैसे ही मानव की ये प्रकृति है और जैसे इस ब्रम्हांड का रोम-रोम पुर्जा यानी प्रकृति ईश्वर के लिए कार्य करती है , वैसे ही ये सच और झूठ पैदा होने से लेकर मृत्यु तक मानव के लिए ही कार्य करते हैं , लेकिन ये आप के निमित्त अच्छा फल तभी देते हैं , जब आपकी सोंच अच्छी हो , क्योंकि अगर ईश्वर की सोंच व संकल्प अच्छा न होता तो , हर एक चीज़ असंतुलित होती , यहाँ असंतुलन से मेरा मतलब है - हर एक प्राणी के लिए नाप-तोल के हर एक चीज़ का बनना , और यहीं पे मेरा जवाब आ जाता है - क्योंकी जहाँ सच न चले वहाँ झूठ बोलिये लेकिन इस बात को सोंच के की जिसके लिए भी मैं झूठ बोल रहाँ हूँ , या जिस बात पे मैं झूठ बोल रहाँ हूँ , उससे मुझे फायदा है व उससे दूसरे को नुक्सान भी नहीं है , और साथ ही अच्छा संकल्प भी लेना चाहिए कि अब झूठ न ही बोलना पड़े तो बेहतर होगा , क्योंकी झूठ तो झूठ ही होता है न।
और हक़ की लड़ाई तो मानव आज से नहीं लगभग आदिमानव युग से लड़ता चला आ रहा है , और रुके भी तो कैसे आखिर हक़ की लड़ाई है न भाई ? ठीक ही लिखा है इस गाने में कि " जहाँ हक़ न मिले वहाँ लूट सही " लेकिन इन शब्दों पे ज़रा सही से ध्यान दीजियेगा - जहाँ हक़ न मिले - वहाँ लूट सही , मेरा मतलब जब हक़ न मिले तब लूट , इसका मतलब लुटेरों की लूट से न लगाइएगा , मतलब अगर आप उस स्थान के अधिकारी है और आपको कोई संदेह है कि अगला हमारा हक़ मार रहा है तो आप अपनी बात को बड़े जोर के साथ रख सकते है ( वो बात भले ही है कि उस वक़्त आपके सामने वाला आपके अन्दर लूट के ही दर्शन कर रहा होगा )
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प्रश्न - तेरे गिरने में भी तेरी हार नहीं के तू आदमी है अवतार नहीं ( क्यों और कैसे ) ?
उत्तर - भगवान् के अवतारों की कहानियाँ तो आपने सुनी ही होगी , आदमी वैसे तो होते नहीं , क्योंकी गीता के अनुसार भगवान् जब इस पृथ्वी पर अवतरित होते हैं तो प्रकृति को अपने आधीन करके व मनुष्य प्रकृति के आधीन होकर ही पैदा होता है , इन सब बातों का मतलब यह है कि , अगर हम कोई भी कार्य बड़ी लगन से करते हैं व मेहनत करने पर भी सफलता सही से हाँथ नहीं लगती , तो इससे कभी आत्मबल नहीं गिरना चाहिए , क्योंकी हम सिर्फ एक आदमी हैं अवतार नहीं , सारी उम्र अपने बच्चे को बड़े जतन से लालन पालन करके पढ़ाते लिखाते व अच्छा आदमी बनाते , पर नतीजे कुछ सही नहीं लगते , कभी लड़का आपकी बात नहीं मानता , अनसुना कर देता है , तो इससे कभी आत्मबल नहीं गिरना चाहिए , क्योंकी हम सिर्फ एक आदमी हैं अवतार नहीं - और गिरने में तो वैसे भी हार नहीं होती , क्योंकि जवानों व पहलवानों का तो काम ही यही होता है - और हम किसी जवानों व पहलवानों से कम थोड़े ही हैं ( इस बात को भी कह देना चाहिए क्योंकी इससे हमारे पूर्वजों का सम्मान होता है )
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इस पोस्ट के आधार पर ये गीत , देखिएगा ज़रूर , फ़िल्म ज़मीर - बोल - ज़िन्दगी हँसने गाने के ---
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मित्रों व पाठकों आपकी मूल्यवान टिप्पणियों का सदः ही स्वागत है , टिप्पणी ज़रूर करें व ज़िन्दगी से सम्बंधित कोई भी प्रश्न आप बेझिझक पूंछे , व कोई सुझाव हो तो अवश्य दें , धन्यवाद !
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बहुत सुंदर :)
ReplyDeleteधन्यवाद व स्वागत है सर !
DeleteBahut hi sundarbprastuti,abhar ashish bhai.
ReplyDeleteआ. सर धन्यवाद जो आप आये व स्वागत हैं !
Deleteवाह क्या बात है आशीष भाई .. जीवन दर्शन समेट दिया इस आलेख में आपने ...
ReplyDeleteभाई जी धन्यवाद व सद: ही स्वागत हैं !
Deleteआपकि बहुत अच्छी राय है।
ReplyDeleteब्लॉग जगत मेँ नये तकनीकि हिन्दी ब्लॉग Hindi Computer Tips कि शुरुआत जरुर पधारे।
Hindi Computer Tips
आपकि बहुत अच्छी राय है।
ReplyDeleteब्लॉग जगत मेँ नये तकनीकि हिन्दी ब्लॉग Hindi Computer Tips कि शुरुआत जरुर पधारे।
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बहुत धन्यवाद व स्वागत हैं !
Deleteसुन्दर प्रस्तुति। सादर धन्यवाद।।
ReplyDeleteनई कड़ियाँ : शहद ( मधु ) के लाभ और गुण।
BidVertiser ( बिडवरटाइजर ) से संभव है हिन्दी ब्लॉग और वेबसाइट से कमाई
धन्यवाद हर्ष भाई व स्वागत हैं !
Deleteबहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteभाई आशीष जी, बहुत श्रम करते हैं आप और तभी श्रम का जैसे फल मीठा होता है
आपकी पोस्ट भी उसी तरह निखर के सामने आती है।
बधाई
एक नज़र :- हालात-ए-बयाँ: ''हम वीर धीर''
ब्रदर जी धन्यवाद व सदः ही स्वागत है !
Deleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteआ. सर धन्यवाद व स्वागत है !
Deleteधन्यवाद व आपका आभार !
ReplyDeleteफिल्मी गाने को लेख के साथ समझने की बेहतरीन कोशिश
ReplyDeleteअनु जी धन्यवाद व स्वागत हैं !
Deleteसुन्दर और सराहनीय प्रयास
ReplyDeleteआ. धन्यवाद व सद: ही स्वागत हैं !
Deleteबहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसंजय भाई धन्यवाद व स्वागत है !
Deleteसुंदर प्रस्तुति। धन्यवाद व आपका आभार ! मेरे नए पोस्र्ट पर आपका इंतजार रहेगा।
ReplyDeleteसर धन्यवाद व सदः हि स्वागत है !
Deleteएक जटिल दर्शन सार युक्त !
ReplyDeleteसर धन्यवाद व स्वागत है !
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